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हिंदी में स्वर कितने प्रकार के होते हैं | स्वर किसे कहते हैं | svar kitane prakaar ke hote hain

svar kitane prakaar ke hote hain -: दोस्तों आज के इस पोस्ट में हिंदी में स्वर कितने प्रकार के होते हैं और इसके साथ स्वर किसे कहते हैं इन सभी प्रश्नों के उत्तर इस पोस्ट में बहुत ही ज्यादा सरल शब्दों में बताऊंगा

तो इस पोस्ट को आप लोग लास्ट तक पढ़ सकते हैं

सबसे पहले दोस्त हिंदी में स्वर कितने प्रकार के होते हैं यह जानने से पहले आपको यह मालूम होना चाहिए कि स्वर किसे कहते हैं ए आप को जान लेना बहुत ही जरूरी होता है तो सबसे पहले मैं ही बताऊंगा कि स्वर किसे कहते हैं

स्वर किसे कहते हैं?

दोस्तों ऐसे वर्ड जो स्वतंत्र रूप से बोले जाते हैं उन्हें स्वर कहा जाता है अर्थात हमारे कहने का मतलब यह है कि स्वर स्वतंत्र होते हैं यह किसी भी अन्य वर्ग की सहायता से नहीं बोले जाते हैं

परंपरागत तौर पर देखा जाए तो स्वरों की संख्या 13 होती है लेकिन उच्चारण के आधार पर स्वरों की संख्या 10 मानी जाती है जिसमें से कि एक अर्ध स्वर होता है तथा दो अनुस्वार स्वर होते हैं

जिसमें से की और 10 वर्ग को भी स्वर में गिना जाता है जबकि अनुस्वार स्वर को इस श्रेणी से बाहर रखा जाता है

आपको और आसानी से समझने के लिए मैंने उस्मा शर्मा हिंदी के चैनल की एक वीडियोस दिए जिसे आप लोग देख कर के बहुत अच्छी तरीके से समझ सकते हैं अन्यथा आप नीचे मैंने अच्छे से टेक्स्ट रूप में लिखा है तो उसे आप पढ़िए

हिंदी में स्वर कितने प्रकार के होते हैं

हिंदी वर्णमाला के स्वर

हिंदी वर्णमाला के स्वर कुल 13 होते हैं जो कि मैं नीचे दिया हूं

  1. स्वर-अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ  (10)
  2. अर्ध स्वर-ऋ (1)
  3. अनुस्वर-अं, अः (2)

दोस्तों मैंने अभी आपको कुल 13 स्वर जो थे उनको लिख करके बता दिया है जिसे आप लोग अच्छे से याद करिएगा

दोस्तों अब मैं आपको बता दूं कि स्वर की संख्या 11 होती है जिसमें अनुसार स्वर को नहीं गिना जाता है

यदि दोस्त आपके परीक्षा में पूछा जाता है कि स्वर कितने होते हैं तो आपको उत्तर में 11 स्वर बताना है जो कि 11 स्वर इस प्रकार हैं –

आप लोग जब प्राथमिक बुक को देखते होंगे अर्थात छोटे बच्चे वाली बुक को देखते होंगे तो उसमें कुल स्वरों की संख्या 13 दिया होता है जो कि अं, अः को भी शामिल कर लिया जाता है लेकिन ईश्वर की गिनती में नहीं गिने जाते हैं

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स्वर कितने प्रकार के होते हैं ? (svar kitane prakaar ke hote hain )

दोस्तों स्वर तो कई प्रकार के होते हैं जिन्हें हम लोग इस पोस्ट में देखेंगे जैसे कि मात्रा के आधार पर स्वर, ओष्ठ के आकृति के आधार पर स्वर, तालु  के आधार पर स्वर, जीव क्रियाशीलता के आधार पर स्वर अर्थात एक आ सकते हैं कि स्वर कई प्रकार के होते हैं

लेकिन सबसे ज्यादा प्रयोग में लिया जाने वाला स्वर अर्थात यह कह सकते हैं कि परीक्षा में सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले सवाल मात्रा के आधार पर पूछे जाते हैं तो सबसे पहले हम मात्रा के आधार पर स्वर को शुरुआत करेंगे

मात्रा के आधार पर स्वर कितने होते हैं:

दोस्तों मैं आपको बता दूं कि जब भी आज तक पेपर में मात्रा के आधार पर ही स्वर पूछा गया है तो आप लोग इसे बहुत ही अच्छे तरीके से पड़ेगा हालांकि मैं आपकी जानकारी के लिए सभी प्रकार के स्वर को जरूर बताऊंगा लेकिन मात्रा के आधार पर स्वर मेरा मुख्य फोकस रहेगा

मात्रा तथा उच्चारण में लगने वाले स्वर तीन प्रकार के होते हैं

  1. ह्रस्व स्वर ( एक मात्रिक स्वर )
  2. दीर्घ स्वर ( द्वी मात्रिक स्वर )
  3. प्लुत स्वर ( त्री मात्रिक स्वर )

१> हस्व स्वर

हस्व स्वर की  परिभाषा 

ऐसे स्वर जिनका उच्चारण करने में या बोलने में बहुत ही कम समय लगता है ऐसे स्वर को हस्व स्वर कहां जाता है

इन इन स्वरों की कुल संख्या चार है जो कि इस प्रकार हैं

जैसे अ ,इ ,उ ,ऋ

इन स्वरों की कुछ प्रमुख विशेषताएं

  • ह्रस्व स्वर को कई नाम से जाना जाता है जैसे कि – लघु स्वर ,छोटा स्वर ,मूल स्वर
  • ह्रस्व स्वर को एक मात्रिक स्वर भी कहा जाता है क्योंकि इसमें कोई मात्रा नहीं होती है

2> दीर्घ स्वर

दीर्घ स्वर की परिभाषा

ऐसे स्वर जिनको बोलने में ह्रस्व स्वर की समय का दोगुना समय लगता है तो इस प्रकार के स्वर को सामान्यता दीर्घ स्वर कहा जाता है

दीर्घ स्वरों की संख्या कुल 7 है जो कि इस प्रकार हैं

जैसे आ ,ई ,ऊ ए ,ऐ,ओ औ

ए ,ऐ ,ओ औ इन 4 स्वरों को संजुक्त स्वर भी कहते हैं

इन स्वरों की कुछ प्रमुख विशेषताएं

  • ये स्वर गुरु/बड़ा/द्विमात्रिक होते हैं
  • इस स्वर संधि स्वर के नाम से जाना जाता है
  • दीर्घ स्वर की दो मात्राएं होती हैं

3> प्लुत स्वर

प्लुत स्वर की परिभाषा

एसे स्वर जिनको लगातार उच्चारण किया जा सकता है अर्थात बिना रुके हुए भी आप लगातार अच्छी तरीके से उच्चारण करते चले जाते हैं तो ऐसे स्वर्ग को सामान्यता प्लुत स्वर की श्रेणी में रखा जाता है जिसे प्लुत स्वर भी कहा जाता है

प्लुत स्वरों की संख्या आठ होती है जो कि इस प्रकार हैं

अ ,आ ,ई ,ऊ ए ,ऐ,ओ औ

लुप्त स्वरों में 7 ऐसे स्वर होते हैं जो कि दीर्घ स्वर हैं आप देख सकते हैं कि दीर्घ स्वर और प्लुत स्वर कौन-कौन से हैं और उनमें ऐसे कौन से स्वर हैं जिनमें समानताएं अर्थात वह एक ही होते हैं

svar kitane prakaar ke hote hain
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Note -: दोस्तों इसके ऊपर मैंने जो बताया यह बेसिक लेवल का था अर्थात कह सकते हैं कि छोटे बच्चों के लिए या तो 10:00 तक पढ़ने वालों बच्चों के लिए था हालांकि इसके ऊपर भी बच्चों के लिए भी पढ़ सकते हैं लेकिन जो मैंने नीचे दिया है वह बेसिक बच्चों के लिए नहीं है अभी आप स्टैंडर्ड लेवल की पड़ रहे हैं तो नीचे को भी पड़ेगा आप लोग ध्यान से और याद भी करिएगा लेकिन आपको किसी भी प्रकार से ऊपर को तो याद करना ही होगा

ओष्ठ आकृति के आधार पर स्वर कितने प्रकार के होते हैं :

1 – वृत्ताकार

2 – अवृत्ताकार

1 > वृत्ताकार स्वर – ऐसी स्वर जिन का उच्चारण करते समय मुख वृत्त के आकार का हो जाता है अर्थात ओष्ठ वृत्त के आकार का हो जाता है ऐसे स्वर को वृत्ताकार स्वर्ग आते हैं

वृत्ताकार स्वर को वृत्तमुखी स्वर भी कहा जाता है यदि वृत्ताकार का संधि विच्छेद किया जाए तो वृत्त + आकार होता है

इन स्वरों की संख्या चार होती है उदाहरण उ ,ऊ ,ओ और औ

अवृत्ताकार स्वर -; ऐसे स्वर जिनको बोलते समय या तो उच्चारण करते समय मुख अर्थात ओष्ठ वृत्त के आकार का ना हो तो ऐसी स्वर को वृत्ताकार स्वर कहा जाता है

इस स्वर्ग को आबृत्तमुखी स्वर भी कहते हैं

इन स्वरों की संख्या कुल 7 होती है जो कि इस प्रकार हैं उदाहरण अ ,आ ,इ ,ई ऋ ए और ऐ

जीव के क्रियाशीलता के आधार पर स्वर

जीव की क्रियाशीलता के आधार पर स्वरों की संख्या कुल 3 प्रकार की होती हैं जो कि इसके उदाहरण इस प्रकार हैं

1 – अग्र स्वर -इ ,ई ,ए ,ऐ ,ॠ

2 -मध्य स्वर – अ

3 – पश्च स्वर – आ ,उ ,ऊ ,ओ ,औ

दोस्तों जो मैंने अभी आपको पासवर्ड बताएं या जीव के क्रियाशीलता के आधार पर स्वर हैं जिसे आप लोग बहुत ही अच्छे तरीके से देख सकते हैं और समझ सकते हैं जिसे मैंने कि अगर स्वर मत स्वर और पश्च स्वर को भी बताया है

तालु की स्थिति के आधार पर स्वर

दोस्तों तालु की स्थिति के अनुसार स्वरों की संख्या चार भागों में बांटा गया है जो कि उदाहरण के द्वारा मैंने नीचे दिखाया है

1 – संवृत स्वर (वंद स्वर )-इ ,ई ,उ ,ऊ ,ऋ

2 -अर्धसंवृत – ए ,ओ

3-विवृत स्वर (खुला स्वर ) – आ

4 -अर्धबिवृत -अ ,ऐ ,औ

स्वर के कितने भेद होते हैं svar ke kitane bhed hote hain

स्वर के भेद की बात की जाए तो स्वर के मुख्य तीन भेद होते हैं हालांकि मैंने ऊपर कई प्रकार के अलग-अलग भेज बताए हैं लेकिन मुख्यता स्वर के तीन प्रकार के भेद होते हैं

  • हस्व स्वर
  • दीर्घ स्वर
  • प्लुत स्वर

आप लोगों को इन तीनों स्वर के बारे में मैंने ऊपर परिभाषा और उदाहरण दिया है जिसे आप लोग देख कर के पता लग जाएगा कि स्वर के कितने भेद होते हैं या तो कह सकते हैं कि स्वर के कितने प्रकार होते हैं

निष्कर्ष दोस्तों आपको यह पोस्ट पढ़ करके बहुत ही अच्छी तरीके से मैंने स्वर को बताया स्वर की परिभाषा को भी बताया स्वर किसे कहते हैं इसे एक संक्षिप्त टिप्पणी मैंने दिया इसके साथ-साथ मैंने आपको स्वर कितने प्रकार के होते हैं

इन सभी प्रश्नों के जवाब दें जो कि मैंने एक अच्छे से लिख कर के आप को समझाने का प्रयास किया हमें उम्मीद है कि आप यदि यहां तक पढ़ चुके होंगे तो आपको सब कुछ याद हो गया होगा फिर भी यदि कुछ न याद हुआ हो तो आप लोग पुनः से दोहरा सकते हैं और अपनी पढ़ाई को एक अच्छे लेवल तक पहुंचा सकते हैं

यदि दोस्तों इस पोस्ट में कुछ आपके डाउट से रिलेटेड छूट गए होंगे तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा मैं उसका जवाब जरूर दूंगा क्योंकि मैं आपके सवालों का जवाब हमेशा देता रहता हूं या तो हो सकता है कि इस पोस्ट में आपका कोई सुझाव हो तो भी हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा आपका पोस्ट पढ़ने के लिए तहे दिल से धन्यवाद

स्वर कितने प्रकार के होते हैं

स्वर कितने होते हैं और कौन कौन से?

स्वर कितने होते हैं और कौन कौन से?

कुल स्वर 13 होते हैं लेकिन इनमें से दो स्वर नहीं गिने जाते हैं अर्थात कह सकते हैं कि स्वरों की संख्या 11 होती है जो कि इस प्रकार हैं
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ ए, ऐ, ओ, औ

स्वर कितने प्रकार के होते हैं संस्कृत में?

संस्कृत में स्वरों की संख्या मुख्य का 10 होती है जिनमें से हस्व स्वर तीन होते हैं और जिसमें से सात दीर्घ स्वर आते हैं जिसमें से की आ, ई और ऊ क्रमशः अ, इ और उ के दीर्घ रूप होते हैं
इन सभी स्वरों का उच्चारण ठीक उसी प्रकार से किया जाता है जिस प्रकार से हस्स्व स्वर का उच्चारण किया जाता है
उच्चारण करते समय हस्स्व स्वर से दोगुना समय लगता है

स्वरों का विभाजन कितने प्रकार से हुआ है?

स्वरों का विभाजन मुख्यता तीन प्रकार से किया जाता है जो कि इस प्रकार हैं

  • ह्रस्व स्वर ( एक मात्रिक स्वर )
  • दीर्घ स्वर ( द्वी मात्रिक स्वर )
  • प्लुत स्वर ( त्री मात्रिक स्वर )

  • प्लुत
     स्वर किसे कहते हैं

    ऐसी स्वर जिन का उच्चारण करते समय बिना रुके हुए लगातार बोला जाता है और उच्चारण किया जा सकता है तो ऐसे स्वर को लुप्त स्वर कहा जाता है लुप्त और बोलने में बहुत ही ज्यादा आसानी से बोले जा सकते हैं

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